Saturday, February 5, 2011

संस्कृति से दूर कलाकार

अमित और दुर्गाप्रसादजी ने ब्लॉग को जिस प्रकार तहे दिल से बधाई दी है उसके लिए उनको साधुवाद....
शनिवार को जवाहर कला केंद्र में बनारस की एक कलाकार ने समीक्षा के लिए निमंत्रित किया....बड़े शौक से गया कलाकार को हेलो कहा पर कलाकार ने बिलकुल ही अहमियत नहीं दी......मैंने इस उपेक्षा को दरकिनार करते हुए समीक्षा की....काम अच्छा था अच्छा ही लिखा......कहने का मतलब है अगर हम किसीको बुलाए तो उसे अहमियत देना हमारा धर्म है और यही हमारी संस्कृति भी कहती है पर हमारे देश के कलाकार इस संस्कृति से दूर होते जा रहे है....वो मीडिया से नज़रे बचाकर तो बतिया लेते है पर सार्वजनिक रूप से ऐसा दिखाते है मानो उन्हें मीडिया से मतलब ही नहीं है........ आमीन

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