अरे मै तो नकली जगजीत हूं
Sarvesh Bhatt जवाहर
कला केंद्र में सोमवार को जगजीत सिंह के निधन के बाद उनके जीवन से जुड़े
विभिन्न पक्षों पर जारी पहली पुस्तक जग जीते जगजीत का लोकार्पण किया गया।
अमित शर्मा लिखित इस पुस्तक का लोकार्पण संस्कृति कर्मी संदीप भूतोडिय़ा,
जगजीत सिंह के बड़े भाई जसवंत सिंह और गायिका मनीषा अग्रवाल ने किया।
लोकार्पण के बाद मनीषा अग्रवाल ने उनके द्वारा जगजीत सिंह को लेकर निर्मित
किए गए वीडियो एलबम पधारो म्हारे देस के निर्माण से जुड़े अनुभव सुनाते हुए
जगजीत सिंह की सादगी के कई किस्से सुनाए।
उन्होंने बताया कि
शूटिंग के लिए जोधपुर जाने के लिए फ्लाइट मिस हो गई तो हमने साधारण रेल से
ही जोधपुर जाने का फैसला किया। स्टेशन पहुंचते ही जनता जगजीत सिंह को पहचान
गई और लोग उनकी तरफ दौड़ पड़े तो वे भी भागने लगे और लोगों से कहने लगे
अरे भाई मैं तो नकली जगजीत सिंह हूं और यह कहते हुए उन्होंने मेरे सामान की
अटैची उठा ली तब जाकर लोग उनसे दूर हुए।
उनके भाई जसवंत सिंह ने
बताया कि जगजीत बड़े धार्मिक प्रवृत्ति के थे तथा सिख पंथ के धार्मिक गीतों
के साथ दिलरुबा बजाया करते थे। संदीप भूतोडिय़ा ने इस पुस्तक को एक महान
हस्ती की याद को संजोने का बेहतरीन प्रयास बताया। जाने-माने लेखक डॉ.
दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने पुस्तक की समीक्षा करते हुए इस पुस्तक को एक
मुकम्मल प्रयास की संज्ञा दी। इस मौके पर बड़ी संख्या में संगीत, नाटक,
चित्रकला, साहित्य और फैशन से जुड़ी हस्तियां मौजूद थीं। किसी पुस्तक के
लोकार्पण समारोह में इतने लोगों का मौजूद होना भी चर्चा का विषय रहा।