Saturday, December 10, 2011

चांद छिपा, छिटकी सुरों की चांदनी


बेगम परवीन सुल्ताना ने सुरों के सौंदर्य से ग्रहण में भी करवाया चांदनी का मखमली अहसास, दो घंटे तक किया सुरों का अनुष्ठान

सर्वेश भट्ट.जयपुर
चंद्रग्रहण की काली छाया ने शनिवार की शाम भले ही परिवेश को अपने आगोश में ले लिया, लेकिन सेंट्रल पार्क में भारतीय शास्त्रीय संगीत के पावन सुरों से छिटकी चांदनी जैसी चमक ने इस अंधकार का तनिक भी आभास नहीं होने दिया। मौका था संगीत जगत में तार सप्तक की रानी कही जाने वाली सुरों की मलिका बेगम परवीन सुल्ताना के गायन का। पर्यटन विभाग और जेडीए की ओर से एक बार फिर से शुरू की गई म्यूजिक इन दी पार्क संगीत शृंखला के तहत आयोजित इस कार्यक्रम में परवीन ने जिस अंदाज में सुरों की गहराई में डूबकर गायन किया उसे सुनकर संगीत रसिक झूम उठे। ये उनकी मधुर गायकी का ही दम था कि सेंट्रल पार्क की वादियों में कंपा देने वाली सर्दी के बावजूद श्रोता डटे रहे और अंत तक उनकी रस और भावों से सराबोर गायकी का लुत्फ उठाया।

ये रचनाएं पेश कीं

कार्यक्रम की शुरुआत उन्होंने राग पूरिया धनाश्री से की। यह राग पूर्वी थाट का राग है इसे संधि प्रकाश काल में गाया जाता है। परवीन का कार्यक्रम लगभग इसी समय शुरू किए जाने से यह राग समय के अनुरूप प्रासंगिक था। इस राग में उन्होंने बड़े ख्याल की बंदिश आज लागी मोरी लगन और उसके बाद छोटे ख्याल की बंदिश पायलिया झनकार के जरिए राग के छिपे भक्ति और शृंगार प्रधान भावों को जीवंत कर दिया। इसके बाद उन्होंने राग हंसध्वनि में तराना पेश किया। राग हंसध्वनि कर्नाटक संगीत पद्धति के २९वें मेलकर्ता राग शंकराभरणम पर आधारित है। शंकरा में धैवत का प्रयोग किया जाता है जबकि इस राग में धैवत वर्जित रहता है। हंसध्वनि की पकड़ निपसानि, पानिपग,गपगरेसा है जबकि शंकरा की पकड़ निधसानि, पधपग, पमरेगरेसा होती है। तराना में लय ताल का कौशल दिखाने के बाद उन्होंने मीरा के भजन माई री मैं तो लीनो गोविंद मोल से कार्यक्रम का समापन किया।

इन्होंने की संगत

उनके साथ तबले पर मुकुल देशराज, हारमोनियम पर श्रीनिवास आचार्य और तानपुरे पर जयपुर की भूमिका अग्रवाल व साक्षी सक्सेना ने संगत की। कार्यक्रम का संचालन सालेहा गाजी ने किया।

स्पिकमैके से जुदा हुआ कार्यक्रम

म्यूजिक इन द पार्क संगीत शृंखला पिछले कई साल से स्पिकमैके के सहयोग से आयोजित की जाती रही है, लेकिन स्पिकमैके के इस आयोजन से हाथ खींच लेने के कारण पर्यटन विभाग ने इसके महत्व को बनाए रखने के लिए इसे अपने स्तर से फिर से शुरू किया है। 

2 comments:

  1. आप की पोस्ट पढ़ कर ऐसे लगा के मैं ने उस कार्यक्रम को अपनी आँखों से देख लिया....अच्छा लिखते है आप......

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